आँख से सपने चुराने आ गए
आँख से सपने चुराने आ गए
वो हमें अपना बनाने आ गए
यूं क्या परेशां कम थी मेरी ज़िंदगी
उसपे हमको तुम सताने आ गए
मैं तो कुंदन हूँ उन्हें मालूम क्या
आग में मुझको तपाने आ गए
उनका कद हमसे कहीं मिलता नहीं
ले आईना हमको दिखाने आ गए
जो 'ग़ज़ल' रोहित कही थी आपने
अपनी कह हमको सुनाने आ गए
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